
माता अहिल्या बाई ने धर्म का संरक्षण किया, आज कुछ स्वार्थी तत्व इसे व्यावसायिक बनाने में लगे।काशी में नहीं थे विश्वनाथ। अहिल्याबाई होल्कर ने दिया साथ।स्थापित किया मंदिर काशी विश्वनाथ। वाराणसी आज सनातन धर्म की महान योद्धा एवं सेवक थी, लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर जिन्होंने केवल काशी विश्वनाथ मंदिर की पुन: प्रतिष्ठा औरंगजेब द्वारा तोड़े जाने के लगभग 80, 90 वर्ष बाद ही नही कराई। बल्कि अनेकश: मंदिरों, गंगा घाटों तथा कुण्डों – तालाबों, धर्मशालाओं का, निर्माण कराया यथा मणिकर्णिका पर जनाना घाट तथा कुंड, पंचगंगा पर दीप हजारा स्तम्भ, दशाश्वमेध- अहिल्याबाई घाट का निर्माण कराया और खास बात यह थी की जब मुगल शासन था। उस काल में सनातन धर्म बहुत ही खराब स्थिति में पहुंच गया था। सनातनी प्रताड़ित हो रहे थे उनके देवस्थान मंदिर, तीर्थ सब तोड़े जा रहे थे। जब एक तरफ विरोधी शासन, विचारधारा के विरुद्ध जाकर मंदिरों का जीर्णोद्धार महान काम था। आज जिस उद्देश्य से उन्होंने धर्मशालाओं का मंदिरों का बनाया वह उद्देश्य हर कीमत पर बनाए रखना बचाए रखने से ही अहिल्याबाई को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की जा सकती है उक्त उदगार श्री देव दीपावली आरती महासमिति एवं गंगोत्री सेवा समिति द्वारा दशाश्वमेध घाट पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि केतन तारे पूणे ने व्यक्त किए। विशिष्ट अतिथि आदेश भट्ट ने कहा की काशी में विश्व विख्यात देव दीपावली महोत्सव के लिए उन्होंने हजारा दीप स्तंभ बनाया जो आज जीर्ण स्थिति में है उसकी मरम्मत होनी चाहिए अहिल्याबाई घाट स्थित उनके भवन को लेकर विवाद चल रहा है कई पंचकोशी की धर्मशालाओं पर अवैध कब्जा है लोकोपकार अहिल्याबाई होल्कर का मूल मंत्र था सनातन की सेवा करते हुए भी उन्होंने हर प्रकार से डटकर लोकोपकार को ही अपने सेवा का मंत्र बनाया। आचार्य वागीश दत मिश्र ने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा की प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर हम सब लोग माता गंगा के आरती स्थल पर लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर जी का स्मरण कर रहे हैं इस घाट का ही नहीं बल्कि अगल-बगल के कई घाटों का निर्माण उन्होने किया और काशी में किसी व्यक्ति के नाम पर सबसे पहले जो घाट का नामकरण हुआ वो अहिल्याबाई के नाम पर ही हुआ था उनके सम्मान में यह बना और काशी वासियों ने इसको सहर्ष स्वीकार किया अन्यथा काशी में आमतौर पर जो घाट बने वह किसी न किसी देवी देवता या तीर्थ के नाम पर ही बनते रहे। अहिल्याबाई घाट के नामकरण के बाद व्यक्तियों के नाम पर घाटों का नामकरण करने की परंपरा प्रारंभ हुई। लेकिन अहिल्याबाई होल्कर के बनवाये काशी विश्वनाथ मंदिर के बाद भारत ओर उत्तर प्रदेश सरकार ने कारीडोर निर्माण से बहूत अच्छा काम किया है। अब जरूरत है उनके द्वारा निर्मित अन्य भवनो को सरकार का सरंक्षण मिले, इसका ध्यान केंद्र सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार को देना चाहिए।कार्यक्रम में सर्व प्रथम लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के चित्र पर माल्यार्पण दीपदान आरती पूजन किया गया बाद मे गोष्ठी हुई जिसमें सर्वश्री पंडित किशोरी रमण दुबे, केतन तारे, आचार्य वागीशदत मिश्रा, दिनेश शंकर दूबे, मनजीत तिवारी, आदेश भट्ट, अनूप जयसवाल, विशाल औढ़ेकर, मयंक दुबे एवं विक्रम गौड़ सम्मिलित हुए।