विवेक कुमार पाण्डेय(संवादाता)भिटौली बाजार/
महाराजगंज: सितंबर का महीना धान की फसल के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि होता है इस समय मौसम में बदलाव और बारिश की कमी के कारण फसल को सूखने से बचने के लिए किसानों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है अगर इस समय उचित देखभाल नहीं किया गया तो उत्पादन में भारी कमी का नुकसान उठानी पड़ सकती है सितंबर में बारिश की संभावना कम होती है जिससे खेतों में पानी की कमी हो जाती है और ऐसे में किसानों को खेत की मिट्टी सूखने से पहले ही सिंचाई करनी चाहिए हालांकि इस महीने में जलभराव भी फसल के लिए हानिकारक हो सकता है इसलिए पानी का प्रबंधन ठीक से करना चाहिए|इस समय धान की फसल लगभग 60 से 65 दिन की हो चुकी है इस अवस्था में फसल में बाली निकलने और बाली से दाने बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है इस समय किसानों को फसल की सिंचाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए जैसे बच्चा अपनी मां के गर्भ में नौवां महीना पूरा कर रहा होता है वही स्थिति इस समय धान की फसल की होती है खेत में ज्यादा पानी भरने से फसलों को नुकसान हो सकता है अधिक पानी भरने से मिट्टी नम हो जाती है जिससे तेज हवा चलने से पौधे गिर सकते हैं और फूल झड़ सकते हैं इसलिए किसानों को ध्यान देते हुए सिंचाई करनी चाहिए ताकि फसल को नुकसान से बचाया जा सके धान की फसल में इस समय हल्की सिंचाई की जरूरत होती है ताकि खेत में नमी बनी रहे कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सिंचाई का समय शाम के वक़्त होना चाहिए और सुबह को अधिक पानी खेत से बाहर निकाल देना चाहिए इससे फसल सुरक्षित रहेगी और जल भराव का खतरा भी काम होगा ज्यादा पानी धान की फसल को नुकसान पहुंचा सकता हैं अधिक पानी भरने से मिट्टी नरम हो जाती है और तेज हवा चलने से पौधे गिर जाते हैं अगर ऐसा होता है तो फूल झड़ जाते हैं और दाने दागी हो जाते हैं जिससे उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है इसलिए किसानों को चाहिए कि तेज हवा की स्थिति में सिंचाई और पानी का प्रबंधन सोच समझकर करें किसान भाइयों को ध्यान रखना चाहिए की फसल के लिए सही समय पर और उचित मात्रा में सिंचाई करें इस समय धान की फसल को एक-दो दिन के अंतराल पर हल्का पानी देना चाहिए और उसके बाद अधिक पानी खेत से बाहर निकाल देना चाहिए इससे न केवल फसल में नमी बनी रहती है बल्कि फंगस और कीटों का प्रकोप भी कम होता है सही पानी प्रबंधन से धान की बालियों में दाने घने लंबे और चमकदार होंगे जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होगी, अगर किसान भाई खेत में लगातार पानी का भराव करते हैं तो इसके कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं गर्मी के कारण पानी जल्दी गर्म हो जाता है जिससे फसल की जड़ खराब हो जाती हैं और उपचारों का असर कम हो जाता है इसके अलावा फंगस का खतरा भी तेजी से बढ़ जाता है जो की फसल के लिए हानिकारक होता है अधिक पानी भरने से धान के दाने सफेद पड़ने लगते हैं और कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है इसलिए किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि वह पानी का भराव नियमित रूप से बदलते रहे और अधिक पानी न भरें सितंबर के महीने में कम बारिश और गर्मी के कारण धान की फसल पर भरा फफूंद किट का प्रयोग प्रकोप भी बढ़ जाता है जो फसल के लिए हानिकारक है किसी विशेषज्ञों के अनुसार अधिक यूरिया के उपयोग से भी कीटों का खतरा बढ़ जाता है जो फसल का रस चूस कर पौधों को सुखा कर सकता है धान की फसल में फंगस और कीटों से बचाव के लिए किसान भाइयों को समय-समय पर इसकी निगरानी करती रहनी चाहिए अगर भूरा फफूंद का प्रयोग दिखाई दे तो अप्लाइड या ब्रूनो जैसी दवावों का 300 से 400 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें इससे कीटों पर नियंत्रण पाया जा सकता है और फसल को बचाया जा सकता है धान की फसल में बाली निकलने के समय सही प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है इस लेख में हमने पानी के प्रबंधन फंगस और कीट नियंत्रण के बारे में चर्चा की ध्यान दें कि ज्यादा पानी का भराव करने से बचे फंगस और कीटों पर नजर रखें और सही समय पर सिंचाई करें इस प्रकार आप अपनी धान की फसल को स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता अधिक उत्पादन वाला बना सकते हैं|