आनन्द कुमार मिश्र
संवाददाता परतावल
नगर पंचायत परतावल के वार्ड नम्बर 15 महंत अवैद्यनाथ नगर में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से मायूस लौट जाते हैं वृद्ध नहीं बन पाता है आयुष्मान कार्ड।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से मुफ्त इलाज की आस में 70वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परतावल के
आयुष्मान कक्ष के चक्कर काट रहे हैं। विभागीय कर्मचारी कभी पोर्टल में तकनीकी खराबी है तो कभी अन्य अभिलेख अधूरे बताकर बुजुर्गों को दौड़ा रहे है। कई-कई दिन चक्कर लगाने के बाद भी बुजुर्गों का आयुष्मान कार्ड नहीं बन पा रहा है।
70 वर्ष से अधिक उम्र के लाभार्थियों को आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाना है लेकिन इस आयु के लाभार्थियों के आयुष्मान कार्ड प्राथमिकता से बनाए जाने के शासन से निर्देशित किया गया हैं। इतना ही नहीं लाभार्थियों को ज्यादा दौड़ाया न जाए
, और आसानी पूर्वक उनका आयुष्मान कार्ड बनाने में विभाग मदद करे। साथ ही इस उम्र के लोगों के अधिक से अधिक कार्ड बनाए जाएं। इसके बावजूद 70 वर्ष से अधिक उम्र के लाभार्थियों के आयुष्मान कार्ड बनाए जाने की रफ्तार काफी धीमी है। बुजुर्गों को लगातार दौड़ाया जा रहा है। शुक्रवार की दोपहर अस्पताल के आयुष्मान कक्ष में कार्ड बनवाने के लिए खड़े बुजुर्गों ने अपना दर्द बयां किया। ग्राम पंचायत धरमौली निवासी रामसेवक ने कहा कि कई बार आ चुका हू
पर आयुष्मान कार्ड अब तक नहीं बन सका है। कभी पोर्टल में तकनीकी खराबी बता दी जाती है, तो कभी कोई अन्य कमी। इससे काफ़ी दिक्कत होती है। योजना के चालू होने के बाद भी विभाग ने कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं की है। घंटों खड़े रहने के बाद मायूस लौट जाते हैं अपने घर बार बार वृद्धावस्था में अस्पताल का चक्कर लगाया जाता है। आयुष्मान कक्ष का आलम यह है कि यहां पर बुजुर्गाें को सही जानकारी भी नहीं दी जाती है। बुजुर्ग कई घंटे खड़े रहते हैं। इसके बाद उन्हें कोई न कोई कमी या फिर विभागीय अड़चन बताकर लौटा दिया जाता है। उर्मिला और शांति ने बताया कि अपना आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए दो बार यहां आ चुकी हूं। आज भी आई हूँ लेकिन कोई सही जवाब नहीं दिया गया। करीब तीन से चार घंटे इंतजार करने के बाद घर जाना पड़ा। परतावल टोला मेहावार निवासी जयश्री गुप्त पत्नी योशोदा देवी ने कहा कि आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए लगभग 10 बार आ चुकी हूं। कभी कुछ तो कभी कुछ कह कर टरका दिया जाता है। जिम्मेदारों को व्यवस्थाएं परखनी चाहिए।