निचलौल ब्लॉक में हैंडपंप रिबोर में बड़ा घोटाला और सरकारी धन का बंदरबांट पढ़े पूरी खबर

रिपोर्ट न्यूज़ डेस्क

महाराजगंज के निचलौल ब्लॉक में ग्राम सभाओं में हाल ही में हैंडपंपों की मरम्मत को लेकर जो घोटाले की खबरें सामने आई हैं, वह कई महत्वपूर्ण सवालों को जन्म देती हैं। खासतौर पर इंडिया मार्क 2 हैंडपंप के रिबोर (पुनः बोरिंग) की प्रक्रिया में अनियमितताएँ सामने आई हैं, जो स्थानीय प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही का संकेत देती हैं। इस घोटाले को समझने के लिए, सबसे पहले हमें यह जानना आवश्यक है कि हैंडपंप रिबोर की प्रक्रिया कैसे होती है, इसके नियम क्या हैं और इन नियमों की अवहेलना किस तरह की समस्याएं पैदा कर सकती है।

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हैंडपंप रिबोर की प्रक्रिया और नियम:

  1. हैंडपंप रिबोर की आवश्यकता: हैंडपंप रिबोर तब किया जाता है जब मौजूदा बोरिंग की पानी निकालने की क्षमता घटने लगती है। यह अक्सर पानी के स्तर में गिरावट, बोरिंग के ढ़ाल में कमी, या बोरिंग में गंदगी के कारण होता है। रिबोर करने से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी होता है कि यह बोरिंग सच में है फिर से कार्यशील हो सकती है या नहीं।
  2. रिबोर की जाँच: अगर कोई हैंडपंप काम नहीं कर रहा है या पानी नहीं दे रहा है, तो ग्राम पंचायत सचिव या ग्राम प्रधान जल निगम से संपर्क करते हैं। पंचायत की जिम्मेदारी होती है कि वह जल निगम के माध्यम से हैंडपंप की स्थिति का निरीक्षण कराए और यह निर्धारित करें कि रिबोर की आवश्यकता है या नहीं। रिबोर करने से पहले यह जाँच होती है कि बोरिंग में पर्याप्त पानी है या नहीं, और क्या रिबोर की प्रक्रिया कारगर रहेगी।
  3. रिबोर के लिए आवेदन प्रक्रिया: रिबोर करने के लिए ग्राम पंचायत को 600 रुपये की राशि जल निगम के खाते में जमा करनी होती है। यह राशि जल निगम के खाते में जमा होती है और इसके बाद जल निगम की टीम मौके पर जाकर जाँच करती है कि बोरिंग में रिबोर की आवश्यकता है या नहीं। जल निगम की टीम इस जाँच के बाद एक प्रमाण पत्र देती है, जो यह प्रमाणित करता है कि बोरिंग रिबोर के योग्य है या नहीं लेकिन ऐसा किसी गाँव में नही हुआ
  4. रिबोर की प्रक्रिया: यदि जल निगम द्वारा प्रमाण पत्र जारी किया जाता है कि बोरिंग रिबोर के योग्य है, तो फिर एमबी (मेजर बिल) तैयार किया जाता है और रिबोर की प्रक्रिया शुरू की जाती है। इस प्रक्रिया में बोरिंग को फिर से खोदा जाता है, और नये हैंडपंप के लिए बोरिंग को दुरुस्त किया जाता है।

निचलौल में घोटाला:

निचलौल ब्लॉक के सभी गांवों में हाल में जो घोटाला हक रहा है हैंडपंप रिबोर के नाम पर उसका मामला सामने आया है, उसमें यह देखा गया है कि बिना जल निगम द्वारा निर्धारित प्रमाण पत्र के, और बिना बोरिंग को सही तरीके से निरीक्षण किए, डायरेक्ट रिबोर की प्रक्रिया पूरी कर दी गई है। इस प्रक्रिया में चबूतरा तोड़ा जाता है, जबकि नियम के अनुसार चबूतरे को तोड़े बिना कोई रिबोर नहीं किया जा सकता लेकिन बिना चबूतरा टूटे हुए ही रिबोर हो जा रहा है इसके अलावा, रिबोर करने से पहले जल निगम के कर्मचारियों द्वारा कोई जाँच नहीं की गई और न ही रिबोर की जरूरत के बारे में प्रमाण पत्र जारी किया जाता है बिना नियमानुसार रिबोर किया जाता है

इसके अलावा, हैंडपंप की मरम्मत से जुड़ी जो फ़ोटो होती है जैसे चबूतरा तोड़ते समय, पाइप निकालते समय, उसका क्या क्या समान लग रहा है उसका फ़ोटो और दस्तावेज प्रस्तुत होते हैं और पंचायती राज के साइट पर अपलोड होते हैं लेकिन यह सब प्रक्रिया किये बिना ही रिबोर हो जा रहा है और अधिकारियों की जेबे गर्म हो जा रही है सरकार का पैसा घोटाला कर के हर भुगतान के समय आप मे साइट पर यह देखा गया कि रिबोर से संबंधित कोई स्पष्ट तस्वीरें नहीं हैं। यह भी संकेत देता है कि कुछ जिम्मेदार अधिकारियों ने यह प्रक्रिया बिना उचित तरीके से पूरी की है, भुगतान कर लिया गया है जिससे कि जनता को नुकसान हो रहा है और सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है।

घोटाले के कारण और प्रभाव:

  1. प्रभावित गांवों में पानी की समस्या: बिना सही तरीके से रिबोर किए गए हैंडपंपों से गांवों में पानी की आपूर्ति में कोई सुधार नहीं होता। इससे ग्रामीणों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है और उन्हें उचित जलस्रोत की कमी का सामना करना पड़ता है।
  2. सरकारी धन का दुरुपयोग: जब रिबोर प्रक्रिया गलत तरीके से होती है, तो सरकार का पैसा बिना किसी वास्तविक लाभ के खर्च होता है। इस प्रकार के घोटालों से सरकारी धन का दुरुपयोग होता है और जनता का विश्वास प्रशासन पर कम होता है।
  3. जिम्मेदारों पर कार्रवाई की आवश्यकता: यह घोटाला ग्राम प्रधानों, पंचायत सचिवों के कर्मचारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार का परिणाम प्रतीत होता है। इन पर कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसे घोटाले न हों और ग्रामीणों को सही जलसंसाधन मिल सके क्योकि ऐसा होता है कि जिनके दरवाजे पर हैंडपंप होता है उनको भी नही पता होता है कि कब हुआ है रिबोर केवल कागज तक सीमित है धरातल पर है ही नही रिबोर

हैंडपंप रिबोर की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण कार्य है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने में सहायक होती है। लेकिन निचलौल ब्लॉक के ग्राम पंचायतों में हुए इस घोटाले से यह साबित होता है कि जब तक नियमों का पालन ठीक से नहीं किया जाएगा और जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी निगरानी नहीं रखी जाएगी, तब तक ऐसे घोटाले होते रहेंगे। ग्राम पंचायतों, और ब्लॉक प्रशासन को चाहिए कि वे इन नियमों का पालन करें और सुनिश्चित करें कि जल आपूर्ति का कार्य सही तरीके से हो। इसके अलावा, ग्रामीणों को जागरूक किया जाना चाहिए ताकि वे इस तरह की अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठा सकें और सरकारी योजनाओं का सही लाभ ले सकें।

आपको बता दें कि ब्लॉक परिसर में लगी हैंडपंप जो वर्षो से खराब पड़ी है वह रिबोर नही हो रहा है तो क्या गांवो में लगे हैंडपंप रिबोर होते होंगे यह तो चर्चा का विषय है ।।

पंचायती राज विभाग के भुगतान के नियम

आपको बता दें कि सरकार भ्रष्टाचार को कम करने के लिए प्रत्येक गांव में पंचायत भवन का निर्माण कर रही है और वहां पर पंचायत सहायकों की नियुक्ति कर रही है की ग्राम पंचायत में कोई भी काम हो तो भुगतान पंचायत भवन के गेटवे पोर्टल से होकर ही हो लेकिन ऐसा निचलौल ब्लॉक के किसी गांव में नहीं हो रहा है सूत्रों के अनुसार पता चला है कि जब भुगतान करना होता है तो जिस गांव का भुगतान है उस गांव का कम्प्यूटर सिस्टम यानी (CPU) ब्लॉक के एक कर्मचारी लाकर यही ब्लॉक पर ही करते हैं और फिर CPU को उस ग्राम सभा मे पहुँचा देते हैं यानी पंचायत सहायक की कोई रोल नही होता औऱ खुलेआम गेटवे पोर्टल का धज्जियां उड़ाई जाती है R भारत / रफ्तार भारत की नजर अब निचलौल ब्लॉक में हो रहे भ्रष्टाचार के पीछे लगी है बहुत जल्द इसका बहुत बड़ा खुलासा होने वाला

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