विवेक कुमार पाण्डेय (संवादाता)भिटौली बाजार/
महाराजगंजहिंदू धर्म में प्रत्येक वर्ष भाद्र माह की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) आरंभ हो जाता है | श्रद्धा पक्ष के दौरान पितरों की आत्मा शांति के लिए श्राद्ध,तर्पण और पिंडदान के कार्य किए जाते हैं |माना जाता है कि पितृपक्ष में घर के पूर्वज पितृ लोक से धरती लोग पर आते हैं और इस दौरान श्रद्धा और धार्मिक अनुष्ठान से पितर प्रसन्न होते हैं,परिवार को पितृ दोष से निवृत करते हुए परिवार के सदस्यों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं ज्योतिषाचार्य पं. रविंद्र नाथ पाण्डेय (प्रधानाचार्य –श्री दुर्गा जी उमाशंकर संस्कृत विद्यापीठ एकडंगा लक्ष्मीपुर महाराजगंज) ने बताया कि वैसे तो 17 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध है लेकिन 18 सितंबर प्रतिपदा श्रद्धा से ही पितृपक्ष की शुरुआत मानी जाएगी और 2 अक्टूबर को समापन होगा लिए जानते हैं सा कर्म और विधि और उसका उत्तम फलश्रद्धा की तिथि के अनुसार ही करे श्राद्ध: श्राद्ध पक्ष में पितरों की श्राद्ध तिथि के अनुसार ही पितरों की आत्म शांति के लिए श्रद्धाभाव से श्राद्ध करना चाहिए |पंडित रविंद्र नाथ पाण्डेय जी के अनुसार अगर पितरों की पुण्यतिथि की जानकारी नहीं है तो पितृविसजर्नी अमावस्या 2 अक्टूबर 2024(अंतिम तिथि) को श्रद्धा का आयोजन किया जाना चाहिए|श्राद्ध करने की सरल विधि: जिस तिथि में पितरों का श्राद्ध करना हो उसे दिन सुबह जल्दी उठ स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें,पितृ स्थान को गाय के गोबर से लिप कर और गंगाजल से पवित्र करे ,महिलाएं स्नान करने के बाद पितरों के लिए सात्विक भोजन तैयार करें श्रद्धा भोजन के लिए ब्राह्मणों को पहले से ही निमंत्रण देना चाहिए |ब्राह्मणों के आगमन के बाद उनसे पितरों की पूजा और तर्पण कराए ,पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध,दही, घी और खीर अर्पित करें , ब्राह्मण को सम्मान पूर्वक भोजन करके अपनी क्षमता अनुसार दान दक्षिणा दें इसके बाद आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करें श्राद्ध में पितरों के अलावा देव, गाय ,स्वान,कौवे और चींटी को भी भोजन खिलाने की परंपरा है|